अमेरिका में चुनाव के बाद का संकट
– विनीत तिवारी
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से सभी हैरत में थे। यहां तक कि अमेरिकी मीडिया और सभी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय चुनाव विशेषज्ञों के अनुमानों को झुठलाते हुए अमेरिका की जनता ने डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव जिता दिया। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव मैदान में उतरने के पहले से ही उनकी अप्रवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ की गई टिप्पणियों की वजह से यह माना जा रहा था कि उनकी जीत लगभग नामुमकिन है। चुनाव नतीजों के परिणामों की व्याख्या में यह बात प्रमुखता से की गई कि ट्रंप की जीत दक्षिणपंथ की जीत है और दक्षिणपंथ की प्रवृत्तियां लगभग वैसे ही अमेरिका में भी मजबूत हो रही हैं जिस तरह भारत या कुछ अन्य देशों में हाल के चुनावों में देखने को मिला है।
जोशी-अधिकारी इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज द्वारा अमेरिकी चुनाव के नतीजों के विश्लेषण और भविष्य में उनके संभावित असर समझने के लिए दिल्ली में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। दिसंबर, 18, 2016 को हुई इस गोष्ठी में अकादमिकों, और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। बैठक को प्रमुख रूप से स्काइप के जरिए अमेरिकी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व केंद्रीय समिति सदस्य डाक्टर एंटोनी मोंटेरो ने संबोधित किया। लगभग 2 घंटे चली इस बैठक में अनेक सवाल-जवाब हुए और कामगार तबके की ओर का एक नया ही विश्लेषण उभर कर आया।