रूस का इंक़लाब और भारत का आज़ादी का संघर्ष (पुस्तक विमोचन)
– विनीत तिवारी
रूस के इंक़लाब के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर सीपीआई के महासचिव कॉमरेड एस. सुधाकर रेड्डी ने एक किताब की संकल्पना की कि किस तरह उस दौर के और बाद के दौर के भी कम्युनिस्ट नेताओं ने रूस के इंक़लाब का स्वागत किया, कैसा आंकलन किया और भारत के आज़ादी के आंदोलन पर उसका कैसा असर रहा। उन्होंने कुछ पुराने लेख छाँटे और मशविरे में डॉ. जया मेहता को शरीक किया। जया मेहता ने उन लेखों में से ऐसे लेख चुने जो विभिन्न तबकों पर हुए असर को प्रतिबिंबित करते हों और साथ ही विशिष्ट प्रसंगों और व्यक्तियों पर काफी उपयोगी सामग्री के बॉक्स तैयार किये तथा प्रभावी चित्रों से पुस्तक को आकर्षक बनाया।
“दि रशियन रेवोल्यूशन एंड दि इंडियन फ्रीडम स्ट्रगल” शीर्षक की यह पुस्तक दिल्ली स्थित जोशी-अधिकारी इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज द्वारा प्रकशित की गयी है और इसका विमोचन कोल्लम, केरल में 24 अप्रैल, 2018 को वरिष्ठ कम्युनिस्ट श्रमिक नेता कॉमरेड गुरुदास दासगुप्ता द्वारा केरल के प्रतिष्ठित प्रकाशनगृह प्रभात बुक हाउस द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में किया गया। यह विमोचन समारोह सीपीआई के 23वें राष्ट्रीय महाधिवेशन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर आयोजित किया गया था जिसमें इस पुस्तक के साथ ही सीपीआई के नए राष्ट्रीय सचिव मंडल के सदस्य कॉ. बिनॉय विस्वम की पुस्तक “आरएसएस अनमास्क्ड”, कॉ. सी. दिवाकरण की इतिहास केंद्रित हिंदी अनूदित पुस्तक “विश्व को चौंकाने वाली गोलियों के पीछे”, दो मलयालम की पुस्तकें और कॉ. ए. बी. बर्धन पर केंद्रित और विनीत तिवारी द्वारा सम्पादित एक पुस्तिका का भी इस मौके पर विमोचन हुआ।
इस अवसर पर पुस्तक के संकल्पनाकार कॉ. सुधाकर रेड्डी, संपादक डॉ. जया मेहता के साथ ही सीपीआई के मुखपत्र न्यू एज के संपादक कॉ. शमीम फ़ैज़ी, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की राष्ट्रीय महासचिव कॉ. अमरजीत कौर, किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव कॉ. अतुल कुमार अंजान, सीपीआई के पूर्व केरल राज्य सचिव कॉ. पन्नीयन रवींद्रन, कोल्लम के सीपीआई के जिला परिषद् सचिव कॉ. एन. अनिरुधन, प्रभात बुक्स के चेयरमैन और पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सी. दिवाकरण, प्रभात बुक्स के महाप्रबंधक कॉ. हनीफ़ा रौतेर, जनयुगम दैनिक समाचार पत्र के स्थानीय संपादक कॉ. पी. एस. सुरेश, प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव मंडल सदस्य डॉ. मोहनदास एवं अन्य अनेक प्रमुख लेखक एवं वामविचार से प्रेरित युवा और वरिष्ठजन उपस्थित थे।
पुस्तक के बारे में :
यह किताब ऐसे लेखों का संकलन है जो दुनिया की दो प्रमुख घटनाओं, रूसी इंक़लाब और भारत की आज़ादी के लिए किये गए उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष को आपस में जोड़ते हैं। ये लेख उस समय भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने लिखे थे और अलग-अलग समय पर पार्टी के केंद्रीय मुखपत्र “न्यू एज” में प्रकाशित हुए थे (सिवाय लेनिन, एम. एन. रॉय और प्रभात पटनायक के लेखों के जो अन्य स्त्रोतों से लिए गए हैं।)
ये लेख उस समय के नेतृत्व की सोच को प्रतिबिंबित करते हैं कि वे रूसी क्रांति के विचार से कितने प्रभावित थे और उन्होंने रूस की क्रांति के सबकों को अपनी ज़मीनी स्थितियों के मुताबिक अंग्रेज़ों के खिलाफ अपने संघर्ष में कैसे आत्मसात किया।
ये किताब अनेक साथियों के सामूहिक प्रयत्नों से संभव हुई है। कॉमरेड बालकृष्ण नायर (बालन), अर्चिष्मान राजू, विनीत तिवारी, डॉ. सी. सदाशिव, नंदिता चतुर्वेदी, विवेक शर्मा, सौरभ बैनर्जी, डॉ. कोनिनिका रे, कृतिका और अनुजा राजन का इसमें बहुमूल्य योगदान रहा है। आशुतोष सिंह राजपूत और अर्चिष्मान ने कवर डिज़ाइन किये हैं। जनम फाउण्डेशन के ध्रुव नारायण ने किताब का ले आउट और साज सज्जा की है।
पुरस्तक २०६ पृष्ठ की है और इसे पाने के लिए joshiadhikariinstitute@gmail.c om पर आर्डर किया जा सकता है। किताब की सहयोग राशि रुपये २०० है।